नृत्यार्चन….

नृत्य क्या है ? क्या सिर्फ मनोरंजन का जरिया ?  अगर किसी कलाकार से पूछा जाये तो नृत्य उसकी आत्मा है।  हर मनुष्य अपनी भावनायें अभिव्यक्त करता है, अगर इतिहास उठा कर देखा जाये तो पता चलता है जब मनुष्य न लिखना जनता था न बोलना , न कोई भाषा थी न कोई लिपि तब भाव ही प्रधान था. नृत्य ने भाव को अभिव्यक्ति दी और सुर-संगीत ने माध्यम.
नृत्य हमारी अनादि परंपरा से जुड़ा है, शिव ने नृत्य का सृजन किया, नारायण ने  श्रृंगार, भगवती स्नेह दिया। गुरु-शिष्य परम्परा के माध्यम से ये पृथ्वी पर आया, यही है नृत्यार्चन का उद्देश्य उस क्षीण हो गई परम्परा को फिर से जाग्रत करना। 

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